ऐ जिंदगी !
ऐ जिंदगी तूझे अब,
जीना चाहता हूँ मैं;
लबों से अपने तूझे अब,
पीना चाहता हूँ मैं;
तेरे कदम के साथ ही चल,
पड़ें है कदम दर कदम मेरे;
एक एक लम्हा तेरा,
तूझसे ही चुरा ना चाहता हूँ मैं;
तेरा हर एक शय तेरे ही,
पलकों से चुनना चाहता हूँ मैं;
तूझसे ही रस्में उल्फ़त,
की निभाना चाहता हूँ मैं;
बातें रागिनी की कर,
दफ़न अतीत के पन्नों में;
तूझे से ही लिपट कर,
अब रोना चाहता हूँ मैं;
सीने से अपने लगा कर,
तूझ को अपनी तमाम उम्र;
तूझ पर ही एक बार,
लुटाना चाहता हूँ मैं !
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