पागल बना गयी तुम !
देखो ना मुझे खबर भी ना हुई,
और सब कुछ मेरा चुरा ले गयी हो तुम;
आँखों के रस्ते से आकर कब तुम,
मेरे दिल में चुप-चाप समां गयी हो तुम;
अब साँस भी लू तो आये सिर्फ तेरी ही खुसबू,
मेरी सारी कायनात को अपना बना ले गयी हो तुम;
है ये मौसम का खुमार है या ये सब तेरा ही जादू,
मेरी ख्वाहिशों के आसमान पर इस कदर छा गयी हो तुम;
मेरा बस अब मुझ पर ही चलता नहीं है,
अजीब से हालात हैं और मुझे पागल बना गयी है हो तुम;
देखो ना मुझे खबर भी ना हुई,
और सब कुछ मेरा चुरा ले गयी हो तुम !
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