Sunday 14 April 2019

प्रेम पूर्ण है प्रीत तृप्त है !

प्रेम पूर्ण है प्रीत तृप्त है !

प्रेम है प्रीत है,
प्रथम नयन के मिलन में;
प्रथम हिय के द्रुत कंपन में,
प्रथम प्रेम की अभिव्यक्ति में;
प्रेम है प्रीत है,
प्रथम प्रेम की स्वीकारोक्ति में;
प्रथम रात्री के मिलन में,
प्रथम लबों के स्पर्श में;
प्रेम है प्रीत है,
प्रथम बाँहों के बंधन में,
प्रथम समर्पण के भाव में; 
प्रथम सहवास की तृप्ति में;
प्रेम है प्रीत है,
प्रथम कोख के अंकुरण में,
प्रथम प्रेम के विस्तार में;
प्रथम संतान की प्राप्ति में,
प्रेम है प्रीत है;
प्रथम संतान के सम्बोधन में,
प्रथम संतान के प्रथम आने में;
प्रथम सभी अनुभूतियों में,
प्रेम पूर्ण है प्रीत तृप्त है !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !