आओ चलें एक नयी दुनियां में !
आओ तुम्हें मैं लेकर चलता हूं,
एक बिलकुल नई दुनिया में;
सपनों से भी बहुत आगे एक,
एक बिलकुल नई दुनिया में;
जहां दिन शुरू होता है,
तेरी एक-एक अंगड़ाइयों से;
जहां बिखर जाती है शाम,
तेरी पलकों की जुम्बिश से;
जहाँ के पंछियों ने सीखा है,
गाना तेरी पायल की रूनझुन से;
जहाँ के पेड़ों ने फैला रखी है,
छांव लेकर तेरी आंचल से;
जहाँ की रातों को सकूँ मयस्सर,
होता है तेरी गोलाकार बाँहों से;
आओ तुम्हें मैं लेकर चलता हूं,
एक बिलकुल नई दुनिया में !
आओ तुम्हें मैं लेकर चलता हूं,
एक बिलकुल नई दुनिया में;
सपनों से भी बहुत आगे एक,
एक बिलकुल नई दुनिया में;
जहां दिन शुरू होता है,
तेरी एक-एक अंगड़ाइयों से;
जहां बिखर जाती है शाम,
तेरी पलकों की जुम्बिश से;
जहाँ के पंछियों ने सीखा है,
गाना तेरी पायल की रूनझुन से;
जहाँ के पेड़ों ने फैला रखी है,
छांव लेकर तेरी आंचल से;
जहाँ की रातों को सकूँ मयस्सर,
होता है तेरी गोलाकार बाँहों से;
आओ तुम्हें मैं लेकर चलता हूं,
एक बिलकुल नई दुनिया में !
No comments:
Post a Comment