Saturday, 6 April 2019

अभिलाषा तुम्हारी !

अभिलाषा तुम्हारी !

हाँ मुझे अभिलाषा है तुम्हारी; 
जो मुझे करीब ले जाती है सम्पूर्णता के... 

क्योंकि तुम्हारा साथ कभी भी; 
मुझे कहीं और भटकने नहीं देता... 

तुम्हारा कोमल और नरम स्पर्श; 
मुझे कठोर नहीं रहने देता ज्यादा देर तक...

और तुम्हारा मेरे जीवन में होना;
मुझे कभी शुष्क नहीं होने देता...

शायद ये तुम्हारी अभिलाषा ही है,
जो मेरे जीवन को संपूर्ण बनाती है !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !