मैं पानी-पानी हो जाती हूँ !
पत्थर पानी हो जाता है,
और पत्थर पानी हो जाता है;
नए-नए चेहरे वाले लोग भी,
कुछ दिन में पुराने हो जाते है;
इश्क़ की लत में गरीब के बच्चे भी,
अचानक राजा और रानी हो जाते है;
सुहानी शाम में लू के थपेड़े भी,
अचानक पवन सुहानी हो जाते है;
मिलान का मौसम जब आता है,
जिस्म भी पानी-पानी हो जाता है;
पेड़ के सूखे पत्ते भी बसंत ऋतू,
के आने की निशानी हो जाते है;
जैसे पत्थर पानी हो जाता है,
और पानी पत्थर हो जाता है;
वैसे ही मैं तो सिर्फ तेरी बातें,
सुनकर ही पानी-पानी हो जाती हूँ !
पत्थर पानी हो जाता है,
और पत्थर पानी हो जाता है;
नए-नए चेहरे वाले लोग भी,
कुछ दिन में पुराने हो जाते है;
इश्क़ की लत में गरीब के बच्चे भी,
अचानक राजा और रानी हो जाते है;
सुहानी शाम में लू के थपेड़े भी,
अचानक पवन सुहानी हो जाते है;
मिलान का मौसम जब आता है,
जिस्म भी पानी-पानी हो जाता है;
पेड़ के सूखे पत्ते भी बसंत ऋतू,
के आने की निशानी हो जाते है;
जैसे पत्थर पानी हो जाता है,
और पानी पत्थर हो जाता है;
वैसे ही मैं तो सिर्फ तेरी बातें,
सुनकर ही पानी-पानी हो जाती हूँ !
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