प्रेम प्रकट होता है !
प्रेम का जीवन में प्रकट होना,
आसान हो भी सकता है;
पर प्रेम को जीवन में थामे रखना,
उतना ही मुश्किल होता है;
क्योंकि जब प्रश्न उठते है प्रेम पर,
तब अक्सर लोग उस से होने वाले;
फायदे और नुकसान का आंकलन,
करने में लग जाते है;
और आंकलन उन्हें अपने पांव पीछे,
खींचने को कहता है;
पर प्रेम को तो आता ही नहीं आंकलन करना,
इसका गवाह इतिहास है;
प्रेम तो उन खड़े प्रश्नों का जवाब,
स्वयं देता है;
बिना कुछ सोचे उसी दृढ़ता से जिस दृढ़ता से,
प्रकट हुए प्रेम को वो सहर्ष स्वीकार करता है !
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