Saturday, 13 April 2019

प्रेम प्रकट होता है !

प्रेम प्रकट होता है !

प्रेम का जीवन में प्रकट होना,
आसान हो भी सकता है;

पर प्रेम को जीवन में थामे रखना,
उतना ही मुश्किल होता है;

क्योंकि जब प्रश्न उठते है प्रेम पर,
तब अक्सर लोग उस से होने वाले;

फायदे और नुकसान का आंकलन, 
करने में लग जाते है;      

और आंकलन उन्हें अपने पांव पीछे, 
खींचने को कहता है;

पर प्रेम को तो आता ही नहीं आंकलन करना, 
इसका गवाह इतिहास है;

प्रेम तो उन खड़े प्रश्नों का जवाब,
स्वयं देता है;

बिना कुछ सोचे उसी दृढ़ता से जिस दृढ़ता से, 
प्रकट हुए प्रेम को वो सहर्ष स्वीकार करता है !  

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !