ओ पगली !
मैं....
जो कभी सिर्फ एक मैं नहीं रहा ;
तुझे पाने की ज़िद में !
मैं....
जो कभी सिर्फ एक मैं नहीं रहा ;
तुझे महज़ मेरे पास बुलाने की ज़िद में !
मैं....
जो कभी सिर्फ एक मैं नहीं रहा ;
एक सिर्फ तुझे बेइंतेहा चाहने की ज़िद में !
मैं....
जो कभी सिर्फ एक मैं नहीं रहा ;
एक सिर्फ तुझे गुनगुनाने की ज़िद में !
मैं....
जो कभी सिर्फ एक मैं ही था ;
तुझसे मिलने के पहले !
ओ "पगली" वो,
मैं अब एक मैं नहीं रहा ;
तुझसे मिलने के बाद !
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