तुम्हारी खामोशियाँ !
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मै समेट कर रख
लूंगा तुम्हारी सारी
खामोशियाँ ;
और तुम्हारी यादों
से कहूंगा यु बेतहाशा
बहना बंद करे ;
पत्थरों से पानी नहीं
निकलता तुम्हारी
कोहनियाँ छिल कर
लहूलुहान हो जाएँगी ;
आंसुओं के सूखने के
बाद फिर नमक नहीं
बहता हाँ जम जरूर
जाता है ;
मन के किसी कोने
में यादों की ईंट चिन
कर एक नमक का
बांध बनाना है ;
ये दर्द एक बार फिर
नहीं गुनगुनाना है;
बिना किसी शिकायत
के जीना है और जाते
समय सारा कुछ साथ
लेकर जाना है !
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