Saturday 5 January 2019

तुम्हारी खामोशियाँ !

तुम्हारी खामोशियाँ !
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मै समेट कर रख  
लूंगा तुम्हारी सारी 
खामोशियाँ ;

और तुम्हारी यादों 
से कहूंगा यु बेतहाशा 
बहना बंद करे ;
  
पत्थरों से पानी नहीं 
निकलता तुम्हारी 
कोहनियाँ छिल कर  
लहूलुहान हो जाएँगी ;

आंसुओं के सूखने के 
बाद फिर नमक नहीं 
बहता हाँ जम जरूर 
जाता है ;

मन के किसी कोने 
में यादों की ईंट चिन 
कर एक नमक का 
बांध बनाना है ;

ये दर्द एक बार फिर  
नहीं गुनगुनाना है;

बिना किसी शिकायत 
के जीना है और जाते 
समय सारा कुछ साथ 
लेकर जाना है !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !