मेरे स्पर्श का अनुभव !
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जैसा महसूस होता है
तुम्हे मेरा स्पर्श पाकर
वैसा ही अनुभव कराना
चाहता हु मैं तुम्हे लिख
कर मेरी कविताओं से;
जब-जब तुम पढ़ो मेरी
कविता तो तुम्हे महसूस
हो की तुमने अभी अभी
किया है मुझे स्पर्श;
और मैं मेरे उन एहसास
को उतरता देख सकू तुम्हारे
हृदय के रसातल में;
ताकि जिस तरह तुम मुझसे
दूर रह कर भी खुश रहती हो
उसी तरह मैं भी मेरे एहसासों
को तुम्हारे हृदयतल में बसा
कर अनिश्चिंतता के बादलों
के पार भी तुम्हे देख सकू;
ताकि तुम्हारे इंतज़ार में जो
रुसवाईयाँ मुझे घेरें रहती है
उनको चिढ़ाते हुए उन्ही की
सोहबतों में अपनी अभिव्यक्ति
से तुम्हे अपने स्पर्श का अनुभव
कराता रहुँ !
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