वर्तमान और भविष्य !
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जब पहली बार
थामा था मैंने
तुम्हारा हाथ
मेरे इन हाथो में ;
तब तुम्हारे एक
हाथ में था तुम्हारा
अतीत और दूसरे हाथ
में था हम दोनो का भविष्य;
मेरे दिमाग ने कहा
पहले पढू तुम्हारा बिता
अतीत पर मेरे इस दिल ने कहा;
बढ़ो बनाने दोनों का
एक सुन्दर भविष्य ओर
फिर उस दिन भी सुनी थी
मैंने अपने दिल की ही बात;
आज फिर एक बार मानने
को मन कर रहा है उसी दिल
की कही बात इसलिए एक बार
फिर चाहता हु देना अवसर तुम्हे
मेरे पास लौट आने का;
लेकिन सुनो इस बार फेंक
आना अपने अतीत के हर
एक काले पन्ने को सजाने
अपने हाथों से हम दोनो का
वर्तमान और भविष्य !
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