जायज़ ही जायज़ है !
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प्रेम और युद्ध में
सबकुछ जायज़ है
ऐसा कई जगह
सुना और पढ़ा भी है;
हां ऐसे ही कई वाकिये
का मैं गवाह भी बना हु
लेकिन मेरी नज़र में युद्ध
में ही सब कुछ जायज़ है;
और युद्धों में इंसानों व
देवताओं को भी नाज़ायज़
करते हुए देखा है सुना भी है;
लेकिन मुझे आज तक
कोई ऐसा इंसान नहीं
मिला जो प्रेम में होकर
कुछ भी नाज़ायज़ करने
को आतुर हुआ है या हुई है;
चाहे प्रेम को पाने के लिए
हो या प्रेम के लिए बलिदान
के लिए हो लेकिन मेरी नज़र
में ये किसीयुद्धोन्मुख इंसान
ने अपने युद्ध को जायज़ ठहराने
के लिए शब्द प्रेम का इस्तेमाल
मात्र किया होगा ;
युद्ध में सब कुछ जायज़ है
और हो भी सकता है पर प्रेम
में सिर्फ जायज़ ही जायज़ था
जायज़ ही जायज़ था और जायज़
ही जायज़ है !
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