Thursday, 31 January 2019

एक नया आयाम दे !


एक नया आयाम दे !•••••••••••••••••••••• साँझ ढले जाकर खड़ा 
होता
हुं सागर किनारे 
सुन ने को उसकी व्याकुलता नदी से मिलने की;


और ऊपर आकाश कि ओर
देखता
हुं उसे भी वैसे ही बैचैन 
होते हुए धरती के लिए; 


जवाब की तलाश में धरती कि
ओर देखता
हुं तो उसे भी पाता हूँ 
तरसते हुए अपने आकाश के लिए; 


रात आती है इन सभी व्याकुल बैचैन अडिग प्रेमियों के लिए अपनी आँखों में आंसुओं की जगह उम्मीद के तारे लिए;


ताकि वो सब मिलकर अपने-अपने प्रेम को एक नया आयाम दे !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !