Monday, 21 January 2019

योगदान का आभार !

योगदान का आभार !
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उस ऊपर वाले ने तो 
उसी दिन लिख दिया 
था तुम्हारा साथ मेरे 
जीवन जिस पहले दिन 
मैंने रखा था अपना पहला 
कदम बहुत ही सूक्ष्म रूप में 
अपनी जननी की कोख में;

आज आभार प्रकट करने 
का मन कर रहा है उन सभी 
का जिन्होंने अपना योगदान 
दिया तुम्हे मुझसे मिलाने में;

सबसे पहले आभार उस 
विराट प्रकृति का जिसमे 
ये सब वैसे ही घटित हुआ 
जैसे इसको घटित होना था;  

आभार उस पथ का जिस 
पथ पर चल कर तुम मुझे 
मिली हां आभार उस तलाश 
का जिसने लगातार प्रेरित 
किया मुझे खोजने में मेरी मंज़िल;

और आभार तुम्हारा अपना 
हाथ मेरे हाथ में देने के लिए  
इस वादे के साथ की वो हाथ 
अब होगा हाथ में मेरे आने 
वाले हर जन्म में भी यूँ ही !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !