दायरे में सिमटा वज़ूद !
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जैसे अन्धकार में
जलते दीपक की लौ
और उसके वृत्त में
खड़ा दास की मुद्रा
में उसका साया;
वैसे ही तुम्हारी
गोलाकार बाँहों
के दायरे में सिमटा
मेरा वज़ूद;
दुनिया में सबसे
खुशहाल जीवन
मेरा अक्सर ऐसा
ही सोचा करता हूँ;
मन कहता है इतना
ही क्यों नहीं हो जाता है
मेरे उम्र का दायरा;
जिस तरह जलते
दीपक की लौ बुझते
ही उसके साये की सांसें
भी थम जाती है;
ठीक वैसे ही तेरी
गोलाकार बाँहों के
दायरे से बाहर आते
ही मेरी भी सांसें थम
जाए बस !
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