Friday, 11 January 2019

खामोश चाँद !

खामोश चाँद !
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रात है खामोश 
और सारे सितारे 
भी है खामोश;
  
पेड़ की एक  
डाल पर बैठा 
पीला-पीला सा 
चाँद भी है खामोश;

मैं एक सिर्फ 
तुम्हे सोच रहा 
हूँ और वो सोच  
मुझसे बातें कर 
के है खामोश;

तुम्हारी वो सोच  
जो कभी नहीं 
रहती मुझसे दूर
एक पल के लिए
भी;  

तो फिर तुम 
कैसे रख लेती 
हो खुद को यु
दूर मुझसे रह 
कर के खुद को 
खामोश !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !