यु ही जुड़ा रहूँगा तुमसे !
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आज से हज़ारों साल
बाद भी मैं रहूँगा जुड़ा
तुमसे यु ही जैसे फूल
जुड़ा है रहते है अपनी
अभिन्न खुसबू से;
आने वाले हर जन्म
भी मैं यूँ ही रहूँगा साथ
तुम्हारे जैसे पेड़ जुड़ा
रहता है अपनी अटूट
जड़ से;
मैं यु ही जगाये रखूँगा
अपनी प्यास तुम्हारे
प्रेम की जैसे रेगिस्तान
में भटका कोई पथिक
खोजता है अपनी
प्यास को;
मैं यु रहूँगा तुम्हे तकते
अपलक जैसे कोई अबोध
बच्चा ताकता है अपनी
जननी को जताने अपनी
समस्त जिज्ञासा;
हाँ आज कल और आने वाले
हज़ारों साल बाद भी मैं रहूँगा
जुड़ा तुमसे यु ही जैसे जुडी है
रूह इस देह से !
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