Saturday, 19 January 2019

यु ही जुड़ा रहूँगा तुमसे !




यु ही जुड़ा रहूँगा तुमसे !
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आज से हज़ारों साल 
बाद भी मैं रहूँगा जुड़ा
तुमसे यु ही जैसे फूल
जुड़ा है रहते है अपनी 
अभिन्न खुसबू से;

आने वाले हर जन्म 
भी मैं यूँ  ही रहूँगा साथ 
तुम्हारे जैसे पेड़ जुड़ा 
रहता है अपनी अटूट 
जड़ से;

मैं यु ही जगाये रखूँगा
अपनी प्यास तुम्हारे 
प्रेम की जैसे रेगिस्तान 
में भटका कोई पथिक
खोजता है अपनी 
प्यास को;

मैं यु रहूँगा तुम्हे तकते  
अपलक जैसे कोई अबोध 
बच्चा ताकता है अपनी 
जननी को जताने अपनी 
समस्त जिज्ञासा;

हाँ आज कल और आने वाले 
हज़ारों साल बाद भी मैं रहूँगा 
जुड़ा तुमसे यु ही जैसे जुडी है  
रूह इस देह से !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !