Thursday, 10 January 2019

तुम्हारी अभिलाषा !

तुम्हारी अभिलाषा !
•••••••••••••••••••••
हाँ मुझे है
अभिलाषा
तुम्हारी ,

क्योंकि तुम्हारा
साथ कभी भी
मुझे भटकने
नहीं देता ,

तुम्हारा कोमल 
सा नरम सा स्पर्श
मुझ में नयी ऊर्जा 
का संचार कर देता है ,

तुम्हारा मेरे
जीवन में होना
मुझे कभी शुन्य
नहीं होने देता ,

शायद ये 
तुम्हारी ही 
अभिलाषा है,

जो मेरे जीवन 
को संपूर्ण बना
उसे सम्पूर्णताः
प्रदान करती है !

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !