Tuesday, 8 January 2019

अनकही बातों का अर्थ !

अनकही बातों का अर्थ !
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जिन्दगी की भागमभाग 
में अब तक भाग ही रहे हो 
अब तक तुम;

इसलिए समझ ही नहीं पाए 
कभी मेरी उर्वर आँखों की इस 
नीरवता में बसा जो स्नेह है 
तुम्हारे लिए;

मेरे कोमल मन का प्यार है 
तुम्हारे लिए मेरे स्पर्श की 
गर्मी है तुम्हारे लिए मेरे 
अहसासों की नरमी है 
तुम्हारे लिए; 

पर तुम कभी महसूस 
ही ना कर पाए उन फूलों 
की खुशबू जो दबे रह गए हैं
कहीं मेरे दिल के वर्क में; 

तुम कभी जान ही नहीं पाए 
और उन अनकही बातों के 
अद्भुत अर्थ को तुम कभी 
जान ही नहीं पाए; 

तभी तो अब तक खुद को 
मेरे पास नहीं ला पाए हो 
तुम जिन्दगी की भागमभाग 
में अब तक भाग ही रहे हो तुम;

इस भागमभाग में क्या क्या 
खोया है तुमने ये अब तक 
जान ही नहीं पाए हो तुम !

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