अनकही बातों का अर्थ !
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जिन्दगी की भागमभाग
में अब तक भाग ही रहे हो
अब तक तुम;
इसलिए समझ ही नहीं पाए
कभी मेरी उर्वर आँखों की इस
नीरवता में बसा जो स्नेह है
तुम्हारे लिए;
मेरे कोमल मन का प्यार है
तुम्हारे लिए मेरे स्पर्श की
गर्मी है तुम्हारे लिए मेरे
अहसासों की नरमी है
तुम्हारे लिए;
पर तुम कभी महसूस
ही ना कर पाए उन फूलों
की खुशबू जो दबे रह गए हैं
कहीं मेरे दिल के वर्क में;
तुम कभी जान ही नहीं पाए
और उन अनकही बातों के
अद्भुत अर्थ को तुम कभी
जान ही नहीं पाए;
तभी तो अब तक खुद को
मेरे पास नहीं ला पाए हो
तुम जिन्दगी की भागमभाग
में अब तक भाग ही रहे हो तुम;
इस भागमभाग में क्या क्या
खोया है तुमने ये अब तक
जान ही नहीं पाए हो तुम !
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