Wednesday, 30 January 2019

सिर्फ तेरे आलिंगन में !

सिर्फ तेरे आलिंगन में !
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सिर्फ एक तेरे ही 
आलिंगन में फैलाना 
चाहता हूँ अपनी जड़ो 
को मैं ;

हर साँस तेरी 
अपनी सांसों में 
समेट लेना चाहता 
हूँ मैं ;

और बून्द बून्द 
अपने वज़ूद की 
तेरी पाक जमीं 
में उड़ेलना चाहता  
हूँ मैं ;

और इस कदर 
हर बार मृत्यु के 
द्वार से लौट आना 
चाहता हूँ मैं ;

सिर्फ एक तेरे ही 
आलिंगन में फैलाना 
चाहता हूँ अपनी जड़ो 
को मैं !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !