बात को बस बात ही रहने दो !
••••••••••••••••••••••••••••••••
बात को बस बात ही रहने दो,
तुम खुद को मेरे पास ही रहने दो;
आज बातों को राज ही रहने दो,
आज रात बिन बात के बीतने दो;
लफ़्ज़ों को ख़ामोश ही रहने दो,
बहुत लम्बी है मेरे दिल की बातें;
सारी बातों को अंदर ही रहने दो,
बात को बस बात ही रहने दो;
आज जुबां को विराम देने दो,
लफ़्ज़ों को कुछ आराम करने दो;
आज चारों भीगी आँखें को रहने दो,
बात को बस बात ही रहने दो;
दर्द को सारे मेरे नाम रहने दो,
खुद को मेरे सीने से लगी रहने दो;
जुल्फों को यूँ ही हवाओं में लहराने दो,
बात को बस बात ही रहने दो;
इस खामोश मिलन की रात को,
आज यु बाग़ ए गुलज़ार होने दो;
रखो मेरे लबों पर अपने लबों को,
और बात को बस बात ही रहने दो;
सुनो दिल में मेरे तुम्हारी वही वो,
पुरानी तस्वीर ही बसी रहने दो;
दोनो के बीच की दुरी को मिटने दो,
बाकी बात को बस बात ही रहने दो !
No comments:
Post a Comment