Friday, 1 February 2019

बात को बस बात ही रहने दो !

बात को बस बात ही रहने दो !
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बात को बस बात ही रहने दो,
तुम खुद को मेरे पास ही रहने दो;
आज बातों को राज ही रहने दो,
आज रात बिन बात के बीतने दो;

लफ़्ज़ों को ख़ामोश ही रहने दो,
बहुत लम्बी है मेरे दिल की बातें; 
सारी बातों को अंदर ही रहने दो,  
बात को बस बात ही रहने दो;

आज जुबां को विराम देने दो, 
लफ़्ज़ों को कुछ आराम करने दो; 
आज चारों भीगी आँखें को रहने दो,
बात को बस बात ही रहने दो;

दर्द को सारे मेरे नाम रहने दो,  
खुद को मेरे सीने से लगी रहने दो;
जुल्फों को यूँ ही हवाओं में लहराने दो,
बात को बस बात ही रहने दो;

इस खामोश मिलन की रात को,  
आज यु बाग़ ए गुलज़ार होने दो;
रखो मेरे लबों पर अपने लबों को, 
और बात को बस बात ही रहने दो;

सुनो दिल में मेरे तुम्हारी वही वो,
पुरानी तस्वीर ही बसी रहने दो;
दोनो के बीच की दुरी को मिटने दो,
बाकी बात को बस बात ही रहने दो !
         

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