आज ..एक वादा करो !
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आज ..एक,
वादा करो तुम मुझसे,
यु ही सदा तुम अपनी इन,
आँखों कि गहराई में मेरी पूरी,
कायनात समाये रखोगी सदा;
आज ..एक,
वादा करो तुम मुझसे,
जब-जब मैं अकेला बैठु
तुम चुपचाप पीछे से आकर,
मेरी आँखें बंद कर ऐसे ही पूछोगी,
सदा मुझसे की बोलो कौन;
आज ..एक,
वादा करो तुम मुझसे,
यु ही सदा तुम्हारी बाँहों के
घेरे में मेरी तन्हाईयाँ खोती रहेंगी
सदा अपना अस्तित्व;
आज ..एक,
वादा करो तुम मुझसे,
की उम्र के उस पड़ाव में,
भी तुम यु ही मेरी ऊर्जा बनकर,
बहोगी मेरी रक्त कोशिकाओं में,
जिस उम्र में अक्सर जीवन नीरस,
सा लगने लगता है;
आज ..एक,
वादा करो तुम मुझसे,
की यु ही मेरा सारा दुःख,
दर्द और गुस्सा कंही गुम होता,
रहेगा पाकर सदा साथ तुम्हारा;
आज ..एक,
वादा करो तुम मुझसे,
लेकर मेरा हाथ अपने हाथों
में और आकर थोड़ा और करीब
तुम रहोगी सदा यु ही मेरे साथ
मेरे करीब थोड़ा और करीब सदा !
आज ..इस वादे करने के दिन
ये सब वादे करो तुम कि इन वादों
का सदा मान रखोगी तुम !
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