अमर हो गए शब्द !
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तुम्हारी सांसों ने
मेरे कहे एक-एक
शब्द में वो ऊष्मा
भर दी;
जिस से वो मेरे
कहे एक-एक शब्द
कब अमर हो गए
पता ही ना चला;
वो वही शब्द थे जो
मुझे अब तक सबसे
ज्यादा प्रिय थे;
अब मैं उन शब्दों
को घिस रहा हु अपनी
दोनों हथेलियों से;
और मैं तब-तक
घिसता रहूँगा इन्हे
जब-तक;
वो शब्द मेरी दाहिनी
हथेली पर तुम्हारी
नाम की चमकती
रेखा बनकर ना
उभर उठे !
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