Wednesday, 6 February 2019

आज विवश हुं मैं !

आज विवश हुं मैं !
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प्रेम है प्यार है 
दुलार है और है; 

इन सब की  
अनुभूति भी;

लेकिन इन सब 
का भान तो मुझे 
तब होता है ना;
  
जब तुम बिलकुल  
पास होती हो मेरे;

और सच कहु तो 
आज भी विवस ही 
पाता हुं खुद को मैं;

क्योंकि जब तुम 
पास होती हो मेरे;
  
तब ज़ज़्बात मेरे
ही मुझसे संभाले
नहीं जाते है !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !