Friday, 8 February 2019

हैप्पी रोज़ डे !


हैप्पी रोज़ डे ! 
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आज "रोज़ डे " है, 
तो मेरे दिल ने मुझ 
से बड़े ही अदब से 
फरमाइश की है;

क्यों ना आज फिर 
से तुम्हें गुलाब की 
तरह गुलाबी होते 
देखा जाए;

ठीक वैसे ही जैसे 
पहली बार मेरी ही 
अंगुलियों का स्पर्श
पाकर तुम्हारी देह 
के सारे रोम रोम खड़े 
हो गए थे;

और चेहरे से गुलाबी 
आभा झरने लगी थी 
तो चाहा आज फिर से 
एक बार गुलाब की 
गुलाबी को पा लू;

मैं अगर तुम्हारा गुलाब 
हूँ तो तुम उस गुलाब की 
गुलाबी आभा हो;
   
तो चलो इसी बहाने 
इस "रोज डे " पर 
अपनी गुलाबी आभा 
अपने गुलाब झार दो
ना तुम ! 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !