वेदनाओं का समंदर !
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तेरे दो बून्द आंसू
के मेरी वेदनाओं का
समंदर है;
ये ज्ञात है तुझे और
तेरा मुस्कुराना मेरी
सृष्टि का चलना है;
ये भी ज्ञात है तुझे
और मेरे आंगन में
तुम्हारा होना मेरे
भाग्य का उदय होना है;
ये भी ज्ञात है तुझे;
और तेरे ह्रदय में
मेरी मौजूदगी ही
मेरी सम्पूर्णता है;
है ये भी ज्ञात तुझे;
फिर क्यों तुम अब
भी इतनी दूर हो
मुझसे अब तक;
ये ज्ञात नहीं है मुझे;
अब तक ...आज इस
प्रेम के मिलन के दिन
बतला दो न तुम मुझे !
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