Tuesday 19 February 2019

बोलती तुम्हारी ऑंखें !

बोलती तुम्हारी ऑंखें !
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मैंने सुना है बोलते अक्सर  
तुम्हारी इन आँखों को;

तब भी जब तुम नहीं थी, 
मेरे सामने बस मैं था और
थी, ये बोलती तुम्हारी आँखें;

उसी ने किया था सबसे 
पहले, इकरार मेरे प्रेम का 
वो भी तुमसे बिना पूछे;

और मैंने मान लिया था, 
उसके इकरार को ही प्यार;

मुझे क्या पता था कि तुम 
करोगी मुझे प्यार, यु बर्षों 
इतना परखने के बाद;

हां तुम्हारी आखों में मेरी 
रूह, आज भी ठीक वैसे ही 
मचलती है;

जैसे वो मचली थी, उस पहले 
दिन जब तुम नहीं थी, मैं था 
और थी, तुम्हारी बोलती आँखें;
  
और हाँ मुझे पता है, हर रूह की  
किस्मत में कहा लिखा होता है, 
यु किसी की आँखों में मचलना !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !