सांझ बनेगी सुहानी रात
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मेरे प्रेमातुर मन में
जैसे साँझ ढल रही है
एक किरण रोशनी की
मुझे प्यार से झिड़कती है
रूककर और मुझसे कहती है
क्यों तुम इतनी जल्दी उम्मीद
का दामन छोड़ रहे हो पागल
तुम देखना अभी तो साँझ के
ऊपर छायेगा चाँद और ये साँझ
चाँद की आगोश में समाकर पूरी
की पूरी रात सुहानी हो जाएगी
उसके बाद छायेगा उजाला एक
नयी सुबह का फिर तुम्हारी प्रिय
आएगी तुम्हारे पास तब यही
तुम्हारा प्रेमातुर मन फिर से
उसके प्रेमानंद में डूब जायेगा
सुन उस किरण की ये बातें
मैं भी देखने लग जाता हु
कैसे चाँद सांझ को अपने
प्रेम में डुबाकर सुहानी रात
बनता है ताकि आज जब वो
आएगी तो मैं भी उस सुबह को
रात बनाकर रख लूंगा सदा के
सदा के लिए मेरे ही पास !
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