मानवता ने चुप्पी साध ली है !
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मानवता जब चुप्पी
साध लेती है तब-तब
दानवता भूखे भेडियो
की शक्ल अख्तियार
कर मानवता को खा जाती है
तभी तो देखो आज फिर
इन भेड़ियों की बस्ती में
एक और बेटी ने
एक और बहन ने
एक और माँ ने
अपनी जान गँवा दी है
लगता है जैसे हमारे
शेरों ने कुत्तों की खाल
भेड़ियों की तादाद से
डरकर पहन ली है
और शेरनियां भी जैसे
उन भूखे लालची भेड़ियों
के डर से अपनी मांद में
दुबककर सो गयी है
और मुझे क्यों लगता है
जैसे दुर्गा,काली और
चंडी भी अपनी सारी
शक्तियां भूल चुकी है
तभी तो मानवता पर
दानवता हावी हुई जा रही है
और इंसानो ने भी डरकर
जैसे चुप्पी साध ली है
पता नहीं और किस किस की
बेटियां को किस किस की
बहनो को किस किस की
और कितनी माओं को
अभी अपनी जान गँवानी है !
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