बेजुबान ख़ामोशी
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तुम्हारा दिया
सबकुछ बचा कर
रखा है मैंने तुम्हारे लिए ,
कुछ आधी अधूरी धुनें
कुछ पूरी सिसकती हुई
सी आवाज़ें...
कुछ एक ही जगह
ठहरे हुए कदम है
कुछ आँसुओं की बूंदें
कुछ उखड़ती हुई सी
सांसें और कुछ आधी
अधूरी कवितायेँ...
कुछ तड़पते से एहसास
कुछ बेजुबान ख़ामोशी
कुछ चुभते हुए से दर्द
की आओ अब मुझसे
ये नहीं संभलते अकेले
आकर सम्भालो इनको
जो दिया था तुमने मुझे
वो सबकुछ बचा कर
रखा है मैंने तुम्हारे लिए !
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