Thursday 11 October 2018

पढ़ तो लिया करो उसे



पढ़ तो लिया करो उसे 
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अभी जिसे देख रही हो 
सिमटा-सिमटा सा जो 
अक्सर रख देता है 
खुद को पूरा का पूरा 
खोलकर तुम्हारे आगे
कई बार-हर बार 
वही जो खुला-खुला
सा बिखरा-बिखरा सा 
पड़ा था तुम्हारे घुटनो पर 
कभी तुम्हारे कंधो पर 
तो कभी तुम्हारी पलकों पर 
तो कभी ठीक तुम्हारे पीछे 
तुम्हारी उन्ही पलकों को 
बंद कर तुम्ही से पूछता है
बताओ मैं कौन? 
वही जो पूरा का पूरा 
जी लेता है खुद को 
तुम्हारे आगे बिखर-बिखर कर 
तुम पढ़ तो लिया करो 
उसको उसके चले जाने 
के बाद उठा कर कभी 
अपनी पलकों से 
कभी अपने घुटनो से 
कभी अपनी पलकों से 
तो पता चलेगा तुम्हे 
यु खुद को कर समर्पित 
लौटने का दर्द क्या होता है !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !