समझा लो अपने चाँद को !
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सुनो ना तुम समझा लो
अपने इस जिद्दी चांद को
तुम्हारे लिए ये कभी तो
अमावस का और कभी
पूनम का तो कभी यु ही
साधारण तीज का और
जब तुम पर ज्यादा ही
प्रेम उमड़ता है तब तो
ये हरतालिका तीज का
हुआ फिरता है और देखो
आज ये करवाचौथ का
होकर तुम्हे सौभाग्य का
वरदान देने निकला है
और फिर परसों दुज का
और फिर एकम् का हों
जाएगा सुनो इसे अपने
पास बैठा कर एक दिन
बड़े प्रेम से समझाओ तुम
इस बढ़ते घटते क्रम में
कहीं एक दिन बुझ ही
ना जाए वरना फिर तुम्हे
ही उलहाने देगा की तुमने
मुझे रोका क्यों नहीं ।
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