Tuesday 2 October 2018

ज़िन्दगी के छोटे-छोटे दिन


ज़िन्दगी के छोटे-छोटे दिन
••••••••••••••••••••••••••••

इस लम्बी सी जिंदगी 
के ये छोटे-छोटे से दिन
के ये छोटे-छोटे से पल 
और ये छोटे-छोटे से पल 
के छोटे-छोटे से पल छण
रूक जाते और कुछ पल
के ये छोटे-छोटे से दिन 
पर दिनों को भी चलने की
की जो आदत है जन्मो से 
शायद इसलिए चलते चलते 
बितते रहते हैं यु ही ये दिन
कभी किसी के साथ तो कभी
किसी के बिन बीतते रहते हैं
ये छोटे-छोटे से दिन और दिन
के ये छोटे-छोटे से पल और
ये छोटे-छोटे से पल के छोटे
छोटे से पल छण रूक जाते 
पर आज तुम जो साथ हो तो 
ये सिर्फ वक्त ही बन बीतेगा  
घड़ी की सुइयां बन चाहे तो 
तू सुन कान बन इसके सुर 
लेकिन तुम्हारे साथ ठहरा 
मेरा ये दिन मेरी पूरी जिंदगी 
बन ठहरा रहेगा साथ मेरे मेरा 
ये दिन मेरी पूरी जिंदगी बन
साथ लेकर अपने ये छोटे-छोटे 
से पल और ये छोटे-छोटे से पल 
के छोटे छोटे से पल छण मुझमें
ही कंही तुम्हारे साथ यूं ही संग 
मेरे हर पल हर क्षण ये दिन 
साथ साथ मेरी सांसों के यूं ही 
धक धक कर कर एक दिन 
धड़कन बन मेरी रूक जाएगा 
ये दिन और दिन के छोटे-छोटे
से पल और पल के छोटे-छोटे 
से ये पल छण एक दिन ।

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !