Wednesday, 10 October 2018

भाविउ मेटि सकहिं त्रिपुरारी

भाविउ मेटि सकहिं त्रिपुरारी
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बदल सकता है 
                   प्रेम का रंग ,
बदल सकता है 
             मन का स्वभाव ;
बदल सकती है 
            जीवन की दिशा ,
बदल सकती है  
               हृदय की गति ;
 लेकिन तुम्हे करनी होगी ,
मदद उस ईश की 
            जिसने लिखकर; 
  भेजा था तुम्हारा भाग्य ,
अकेले नहीं उठाना 
                   चाहता वो ; 
इतना भार अब  
             अपने कंधो पर ,
जब देख लिया  
              उसने तुम्हारी ;
कोशिश बदलने की 
            अपने भाग्य को , 
जब देख लिया उसने 
   तुम्हारी इक्षाशक्ति को ; 
और देखकर तुम्हारा 
समर्पण अब चाहता है वो , 
इसमें तुम्हारी भी मदद 
 ताकि लिख सके तुम्हारा ; 
भाग्य एक बार फिर से तुम्हारे कर्मो के अनुसार !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !