भाविउ मेटि सकहिं त्रिपुरारी
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बदल सकता है
प्रेम का रंग ,
बदल सकता है
मन का स्वभाव ;
बदल सकती है
जीवन की दिशा ,
बदल सकती है
हृदय की गति ;
लेकिन तुम्हे करनी होगी ,
मदद उस ईश की
जिसने लिखकर;
भेजा था तुम्हारा भाग्य ,
अकेले नहीं उठाना
चाहता वो ;
इतना भार अब
अपने कंधो पर ,
जब देख लिया
उसने तुम्हारी ;
कोशिश बदलने की
अपने भाग्य को ,
जब देख लिया उसने
तुम्हारी इक्षाशक्ति को ;
और देखकर तुम्हारा
समर्पण अब चाहता है वो ,
इसमें तुम्हारी भी मदद
ताकि लिख सके तुम्हारा ;
भाग्य एक बार फिर से तुम्हारे कर्मो के अनुसार !
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