बेक़रार करवटें !
अक्सर ही यूँ,
आधी अधीर रातों को,
जब मेरी करवटें मुझे यूँ,
बेहद परेशान करने लगती है;
तब मैं नींदों से,
उठकर खुद के दिल,
पर खुद ही दस्तक देता हूँ;
ताकि उन करवटों,
को लगे तुम आ गयी हो,
और वो चैन से मुझे सोने दें;
अब तक कुछ इसी,
तरह मैं अपनी ही बेकरार,
करवटों को अपनी ही थपकियों,
से तुम्हारे आने का यकीन दिलाता आया हूँ !
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