Sunday 31 March 2019

बेक़रार करवटें !

बेक़रार करवटें !

अक्सर ही यूँ, 
आधी अधीर रातों को, 
जब मेरी करवटें मुझे यूँ, 
बेहद परेशान करने लगती है; 

तब मैं नींदों से, 
उठकर खुद के दिल, 
पर खुद ही दस्तक देता हूँ; 

ताकि उन करवटों, 
को लगे तुम आ गयी हो, 
और वो चैन से मुझे सोने दें; 

अब तक कुछ इसी, 
तरह मैं अपनी ही बेकरार, 
करवटों को अपनी ही थपकियों,  
से तुम्हारे आने का यकीन दिलाता आया हूँ !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !