Thursday, 21 March 2019

अहम् का दहन !

अहम् का दहन ! 
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आओ हम करे दहन ,
आज अपने अपने अहम् का ,
जैसे भक्त प्रह्लाद ने किया था; 
होलिका के अहम् का ! 
उसी अग्नि कुंड में जिसमे ,
उसने अपने ईश के आशीर्वाद ,
का चादर ओढ़ कर सोचा था ;
प्रह्लाद का दहन करने का ! 
आओ हम पाए संकेत ,
उठते इस अग्नि कुंड के धुंवे से ,
अपने अपने प्रदेश के भविष्य की तस्वीरें; 
गर देखो दहन के धुंवे को सीधा,
आकाश की ओर उठता हुआ तो, 
समझ लेना ये संकेत है ; 
सत्ता परिवर्तन का !

गर देखो दहन के धुंवे को दक्षिण,
दिशा की ओर जाता हुआ तो समझना ,
ये संकेत है कोई अपने प्रदेश में आने 
वाली विपदा का ! 
गर देखो दहन के धुंवे को पूर्व,
दिशा की ओर जाता हुआ तो ,
समझना ये संकेत है प्रदेश में सुख संपन्नता की बरसात का ! 
गर देखो दहन के धुंवे को उत्तर, 
दिशा की ओर जाता हुआ तो समझना ,
समझना ये संकेत है सच के रास्ते पर चलकर ;
अकूत धन धान्य और स्वस्थ स्वास्थ पाने का !

बस करना विस्वास वैसा ही जैसा किया था ,
भक्त प्रह्लाद ने अपने नरसिंघ भगवान् पर ,
आओ हम करे दहन आज अपने अपने अहम् का ;
जैसे प्रह्लाद भक्त ने किया था होलिका का ! 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !