Wednesday, 27 March 2019

ख़रीद लेता है मुझ को !

छोड़ जाता है 
वो बिखरा कर ;
मेरे ही जिस्म 
में खुद को ,

फिर धीरे-धीरे 
खून पीता है 
वो मेरा ;

अंतत वो ही 
ख़रीद लेता है, 
मुझ को ;

मेरी ही निशानी 
दे कर मुझ को !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !