Sunday, 10 March 2019

निर्भय प्रेम हमारा !

निर्भय प्रेम हमारा !
••••••••••••••••••••• 
एक मात्र भाव है, 
जो मुक्त है, 
हर द्वन्द से;

सर्वोपरि, 
सर्वश्रेष्ठ पाक, 
प्रेम तुम्हारा;

सीमाहीन है,
इसको दायरों में, 
बांधा नहीं जा सकता;

दृश्य भी है, 
महसूस भी किया 
जा सकता है, 
प्रेम मेरा;

अमर है कभी, 
दम नहीं तोड़ेगा,
अजेय है कभी, 
घुटने नहीं टेकेगा; 

किसी भी परिस्थिति 
में अडिग,निर्भय,   
प्रेम हमारा !

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !