निर्भय प्रेम हमारा !
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एक मात्र भाव है,
जो मुक्त है,
हर द्वन्द से;
सर्वोपरि,
सर्वश्रेष्ठ पाक,
प्रेम तुम्हारा;
सीमाहीन है,
इसको दायरों में,
बांधा नहीं जा सकता;
दृश्य भी है,
महसूस भी किया
जा सकता है,
प्रेम मेरा;
अमर है कभी,
दम नहीं तोड़ेगा,
अजेय है कभी,
घुटने नहीं टेकेगा;
किसी भी परिस्थिति
में अडिग,निर्भय,
प्रेम हमारा !
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