प्रेम कसता है ताने !
प्रेम कभी तो खड़ा होता है,
जीवन की अकेली और सुनसान राहों पर;
या फिर कभी खड़ा होता है,
वो वक़्त के व्यस्ततम मुहानों पर;
वो साथ हो लेता लेता है,
हर एक साहसी व दुस्साहसी के साथ;
जो उस से नज़र मिलाकर उसका,
सामना करने को हर वक़्त रहता है तैयार;
नहीं तो वही प्रेम कई बार कसता है,
ताने और करता है किलोल उस के साथ;
जो अक्सर उसे हवाला देते है,
अपनी मज़बूरियों का और जो करते है;
उस प्रेम को दरकिनार वो भी,
किसी अनजान और दकियानूसी
सोच की कर के परवाह !
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