झूठा करार
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यु आधी-अधीर
रात को जब करवटें
बेहद परेशां करती है
मुझे तब अक्सर ही
नीँदों में उठकर ये मैं
कई बार खुद से ही यु
अपने दिल पर जोर-जोर
से दस्तक देता हु ताकि
करवटों को लगे तुम आ
गयी हो पास मेरे और फिर
जैसे ही उनको मिलता है थोड़ा
करार मैं उस दस्तक दिए हुए
खुद के दिल से खुद-ब-खुद बाहर
निकल आता हु कुछ ऐसी सी मोहोब्बत
से इश्क़ किया है मैंने अक्सर जिसमे अपनी
ही बेक़रार करवटों को अपनी ही थपकियों से
झूठा करार दिलाकर इस तरह से सुलाया है मैंने !
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