क्यों तुम मुझे बहुत याद आती हो !
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तुम्हे भुलाने की बहुत सारी वजहें है
आज भी मेरे पास पर भी जब
जीने की वजह की बात आती है
तब तुम मुझे बहुत याद आती हो
वैसे तो इश्क़ के नाम में ही लाखो
दर्द छुपे है पर मुझे जब भी बेइंतेहा
प्यासी मुहब्बत की याद आती है
तब तुम मुझे बहुत याद आती हो
यु तो तुम्हारा नाम भी अपनी जुबां
पर ना लाने की हज़ार वजहें थी
मेरे पास पर जब भी तुम पर लिखी
मेरी कोई प्रेम कविता मैं अकेले में
गुनगुनाकर अपनी रूह को सुनाता हु
तो तुम मुझे बहुत याद आती हो
यु जब भी किसी रूठी मासूका को
किसी मासूक को मानते देखता हु
तो तुम मुझे बहुत याद आती हो
यु तो खुद को मिटा देने की लाख
वजहें दे जाती हो जाते जाते तुम
मुझे पर जब तुम्हारे लौट आने की
बात याद आती है उस पल ना जाने
क्यों तुम मुझे बहुत याद आती हो !
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