प्रेम की उम्र तय कर लो !
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आज कल प्रेम की भी उम्र
तय होने लगी है प्रेम की
उम्र खुद मोहब्बतें आगे
बढ़कर तय करने लगी है
मुक्त होने के लिए इस
बंधन से जबकि इश्क़
उसे वफ़ा के साथ निभा
रहे होते है अपना अपना
प्रेम और मोहब्बतें समय
समय पर परखती है
अपने-अपने इश्क़ को
अपने अपने तय मापदंडों
पर ठीक वैसे जैसे प्रत्यंचा
परखती है खुद पर चढ़े तीर
का तनाव ताकि जब वो छूटे
प्रत्यंचा से तो वो इतनी दूर
जाकर गिरे की जब वो लौटकर
आये प्रत्यंचा के पास तब तक
प्रत्यंचा तीर के बंधन से मुक्त
होकर उड़ चले खुले गगन में
तलाशने कोई और नया नुकीला
तीर जो खुद छोड़ा हुआ होता है
किसी और स्वक्छंद मानसिकता
वाली प्रत्यंचा के द्वारा उसी मिलती
जुलती इक्षा के साथ कुछ इस तरह
आज कल आहे बढ़कर मोहब्बतें
तय कर रही है उम्र प्रेम की अपने
अपने मापदंडों के अनुसार !
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