कभी महसूस करना तुम••••••••••••••••
खामोशियाँ कभी मरती नहींदर्ज़ रहती है हमेशा हृदय के
अन्तः स्थल में;
कभी महसूस करना तुम,
खामोशियाँ कभी मरती नहीं
अक्सर जोर-जोर से शोर करती हैं
तन्हाईओं में सन्नाटों में;
कभी महसूस करना तुम,
तब जब तुम्हारे चारों ओर
पसरा हुआ हो ढेर सारा सन्नाटा;
कभी महसूस करना तुम,
और हाँ तुम्हारे घर की आलमारी
में रखी मेरे भावों में लपेट कर भेजी
मेरी लफ़्ज़ों में बयां मेरी मोहोब्बत;
कभी महसूस करना तुम,
जैसे ही लगाओगी उन्हें हाँथ
ये शोर मचाएंगी और तोड़नी पड़ेगी
तुझे अपनी खामोशियाँ;
कभी महसूस करना तुम,
मैं तो अक्सर रातों को महसूस
करता हु तो मेरी रातें सुलग जाती हैं,
फिर ना तुम आती हो ना ही आती है नींदें;
कभी महसूस करना तुम,
सोने के पहले पढ़ना मेरी लिखी
ये सुलगती हुई सी प्रेम कवितायेँ
शोर मचाएंगी जोर-जोर से और
तुम्हे तोड़नी पड़ेगी अपनी खामोशियाँ !
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