Tuesday, 25 September 2018

कभी महसूस करना तुम

कभी महसूस करना तुम••••••••••••••••

खामोशियाँ कभी मरती नहीं
दर्ज़ रहती है हमेशा हृदय के 
अन्तः स्थल में;

कभी महसूस करना तुम,

खामोशियाँ कभी मरती नहीं
अक्सर जोर-जोर से शोर करती हैं
तन्हाईओं में सन्नाटों में;

कभी महसूस करना तुम, 

तब जब तुम्हारे चारों ओर 
पसरा हुआ हो ढेर सारा सन्नाटा;

कभी महसूस करना तुम,

और हाँ तुम्हारे घर की आलमारी 
में रखी मेरे भावों में लपेट कर भेजी 
मेरी लफ़्ज़ों में बयां मेरी मोहोब्बत; 

कभी महसूस करना तुम,

जैसे ही लगाओगी उन्हें हाँथ 
ये शोर मचाएंगी और तोड़नी पड़ेगी 
तुझे अपनी खामोशियाँ;

कभी महसूस करना तुम,

मैं तो अक्सर रातों को महसूस
करता हु तो मेरी रातें सुलग जाती हैं,
फिर ना तुम आती हो ना ही आती है नींदें; 

कभी महसूस करना तुम, 

सोने के पहले पढ़ना मेरी लिखी 
ये सुलगती हुई सी प्रेम कवितायेँ 
शोर मचाएंगी जोर-जोर से और 
तुम्हे तोड़नी पड़ेगी अपनी खामोशियाँ !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !