Sunday 30 September 2018

चीख कर रो पड़ोगी तुम

चीख कर रो पड़ोगी तुम
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मेरे कहे वो सारे शब्द
शायद तुमने रख दिए 
कंही किसी पुरानी दराज़ 
में छुपा कर जैसे किसी 
मृत व्यक्ति के शरीर से 
उतारकर हम रख देते है 
उसकी पहनी सोने की  
अंगूठी ऐसी ही किसी 
पुरानी दराज़ में छुपा कर
ताकि किसी दिन जब कोई 
साथ ना हो और तुम हो जाओ 
नितांत अकेली तब अकेले में 
तुम आकर खोलोगी उस दराज़
को तो काले कपडे में लपेटे मिलेंगे
तुम्हे मेरे कहे वो सारे शब्द जिसमे
साफ़ साफ़ लिखा होगा मैं तुम्हे खुद
से कंही ज्यादा प्रेम करता हु और जब 
मैं तुम्हारे पास नहीं रहूँगा तब मेरे कहे 
ये शब्द भी तुम्हे उतना ही प्रेम करेंगे 
जितना प्रेम मैं तुम्हे तुम्हारे साथ रहकर
करता था और इतना पढ़कर तुम फिर से 
एक बार चीख-चीख कर रो पड़ोगी ठीक 
वैसे ही जैसे तुम रो पड़ती थी मेरे थोड़े 
से जोर से डांट या डपट देने के बाद !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !