सब-कुछ दे दूंगा मैं तुम्हे अपना
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जब तुम आओगी पास मेरे तो मैं तुम्हे
अपनी भीगी आँखों और तप्त हृदय से
अपनाकर वो सब-कुछ दे दूंगा जो बचाकर
रखा है अब तक सिर्फ तुम्हारे लिए;
तुम जब सब-कुछ छोड़कर आओगी
तो अपनी आत्मा को अपने साथ ही
लाना अपने आने वाले हर एक जन्म
के लिए और वो भी सिर्फ एक मेरे लिए;
और मुझे पता है एक दिन तुम जरूर
आओंगी लेकिन सुनो जब तुम आओ
तो अपनी ख़ामोशी को साथ ना लाना;
बस तुम अपनी इन घनेरी जुल्फों को
खुला रख कर आना और अपनी आँखों
में थोड़ी नमी भी लेकर आना और आकर
यंहा जोर जोर से मेरा नाम लेना;
तब मैं वो सब-कुछ तुम्हे अर्पण कर
दूँगा जो मैंने एक सिर्फ तुम्हारे लिए
अब तक बचा कर रखा है;
मेरी बनायीं प्रेम की कुछ आधी अधूरी
धुनें कुछ मेरी सिसकती हुई सी आवाज़ें
और कुछ एक ही जगह ठहरे हुए से कदम;
जो अब तक तुम्हारे कदमो के इंतज़ार
में ठिठके हुए थे की कब मिले साथ उन्हें
तुम्हारे कदमो का और वो चल पड़े अपनी
मंज़िलों की डगर पर थाम तुम्हारा हाथ;
और कुछ आंसुओं की बूंदे कुछ उखड़ी हुई
सी साँसे कुछ अधूरे से शब्द कुछ नम से
अहसास और थोड़ी सी मेरी खामोशियाँ;
कुछ तीखे और कुछ मीठे दर्दों के साथ साथ
कुछ तुम्हारी बेसब्र यादें बस ये सब कुछ
जो अब तक बचाकर रखा है मैंने
एक सिर्फ़ तुम्हारे लिये वो सब-कुछ
दे दूंगा अब तुम्हे ताकि तुम्हे भी तो
पता चले इतना कुछ सहेज कर रखने
के लिए जातां कितने करने पड़ते है !
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