ईश्वरीय शक्ति को स्वीकारो
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इतिहास गवाह है आज हुए आज के पहले
हुए और जो आने वाले कल में होंगे चाहे वो हो
कोई भी जीव या हो भूत प्रेत पिचास
असुर या राक्षस उन सभी ने ना सिर्फ
ईश्वरीय शक्ति के अस्तित्व को स्वीकारा है
बल्कि उनकी आराधना कर उनको रिझाया भी है
फिर ना जाने क्यूँ कुछ लोग जिन्होंने कुछ अपनों
को खोया है आज वो उस ईश्वरीय सत्ता को ही
नकार अपने आने वाले भविष्य को दाव पर लगा
उसी परम शक्ति को दुत्कारने में लगे है मेरी सलाह है
उन तमाम पढ़े लिखे लोगो व वैज्ञानिको को की एक बार
फिर से वो पढ़े इस धरती के इतिहास को जंहा परीक्षित ने
अपनी माँ के गर्भ में ही झेला था मृत्युतुल्य कष्ट और
सोचे क्या कोई बीज गर्भ में कोई पाप कर सकता है
अगर नहीं तो फिर क्यों उसे वो कष्ट झेलना पढ़ा
तब शायद उनको समझ आये की पूर्वजन्म के कृत्यों
को हम तो भूल सकते है परन्तु विधाता की लेखनी उसे
सदा अंकित रखती है अपने बही-खाते में ये तो उत्तरा थी
जिन्होंने भगवन विष्णु को सहृदय पुकारा अश्वत्थामा के
ब्रह्मास्त्र से अपने गर्भ की रक्षा हेतु तब भगवान विष्णु ने
स बीज की रक्षा की जिसे आगे चलकर हमने
राजा परीक्षित के रूप में जाना तो ये समझ ले की
उम्र स्वास्थ ख़ुशी व दुःख ओर भोग इंसान अपने
कर्मो से अपनी किस्मत में विधाता से लिखवाता है
और वो हर एक जीव को यंहा भोग कर जाना होता है
ईश्वर सिर्फ आपके सच्चे भावो के भूखे है आज भी वो
तुम्हे वो सब कुछ लौटा सकते है जिसका तुम्हे मलाल है
बस जरुरत है उन सच्चे भावो की जिन भावो से पत्थर बनी
अहिल्या को भी भगवान राम अपने चरणों से छूकर मुक्ति देने आते है !