मेरी पलकों मे छुपे है मोती
------------------------------
तुम्हे सोचती हूँ ,
तो पाती हूँ तुम्हे
अपने ही आस पास,
तुम्हे जैसे ही छूने की
कोशिश करने लगती हूँ
तो टूट जाता है मेरा
एक और मधुर स्वप्न
ये जो मेरी पलकों में
अनगिनत मोती छुपे है
तुम्हारे इंतज़ार के
बस तेरी एक झलक के
तलबगार हैं और जो मेरे
लबों पर आने को बेताब है
बरसों से उस मुस्कराहट को
बस तेरे आने का इंतज़ार है
इतना कुछ जानकर भी
जो तुम हो दूर मुझसे
क्या उसे भी तुम्हारा
प्यार समझू या तुम्हारा
कोई खेल ये बतला दो
No comments:
Post a Comment