Saturday, 28 April 2018

मेरे यकीं को ना झुठलाना तुम

मेरे यकीं को ना झुठलाना तुम
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तुम सब जानती हो इसलिए
कि शायद तुम भी वो ही सब
जी रही हो जो मैं जी रहा हु
मन से मन का जुड़ाव
मेरा तुम्हारे प्रति स्नेह...
एक जैसा था है और रहेगा ..!!
जाने कैसा है तुम्हारा मेरे लिए
ये तुम ही जानती हो पर बस जैसा है
ऐसे ही रखना कुछ नहीं ज्यादा बस
मेरा अनकहा भी समझना
और मुझसे जो चाहो वो कहना...!
ये मेरा विस्वास है इसे ना कभी
भूल कर भी झुठलाना तुम
मेरे यकीं को यकीं ही रखना
की तुम मुझे मुझसे भी अच्छी
से समझती हो

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !