उमीदों से भरा आसमां------------------------
तेरी यादों की पोटली को
अपने गले में लटकाये
अपने कुछ सपनो को मुठी में भर
तन्हा आधी रात को अपनी
छत की मुंडेर पर जा बैठता हु ,
लिए मन मे प्रेम के ढेरों सवाल
अपलक निहारना शुरू करता हु
उम्मीद से भरे उस आसमां को
और इंतज़ार करता रहा उसके जवाब का
किन्तु वो मौन था खुद में समेटे सारे
प्रश्नो के जवाब बस चाहता ये था की जवाब
वो दे सवाल जिसके लिए किये थे मैंने उससे
मौन ऐसा छाया था जिसमे कोई ध्वनि
सुनाई नहीं देती शून्य के सिवा कुछ नहीं था
व्याकुल मन मेरा हमेशा की तरह निराश हुआ
और सहसा मेरे गालों को किसी ने छुआ
ओह ये तो बारिश की बूंदे थीं मेरी नज़र एक बार
फिर उठी उस उम्मीद से भरे आसमां की ओर..
इस बार आसमां के जवाब देने काली-काली
बदरिया बड़ी व्याकुल हो उमड़ घुमड़ कर
मेरे सारे सवालों का जवाब दे रही थी
जैसे मेरे सारे सवालों का जवाब उसने
बदरिया को पहले से दे रखे थे !
No comments:
Post a Comment