जून की बारिश !
आओ इस तपते जून की बारिश में,
तुम और मैं तब तक भीगें जब तक;
होंठ दोनों के एक साथ थरथराने ना लगे !
आओ इस तपते जून की बारिश में,
तुम और मैं तब तक भीगें जब तक;
तपती धरा को बादल बरस कर हरी ना कर दे !
आओ इस तपते जून की बारिश में,
तुम और मैं तब तक भीगें जब तक;
पसीने की ये बूंदें जमकर बन ना जाए,
ओस की ठंडी-ठंडी छोटी छोटी बूंदें !
आओ इस तपते जून की बारिश में,
तुम और मैं तब तक भीगें जब तक;
तृप्त ना हो जाए तुम्हारी यौवन युक्त तपिश !
आओ इस तपते जून की बारिश में,
तुम और मैं तब तक भीगें जब तक;
हर्फ़ नज़रों से निकलना छोड़ होंठों,
से ना करने लगे इज़हार !
आओ इस तपते जून की बारिश में,
तुम और मैं तब तक भीगें जब तक;
हमें ये एहसास ना हो जाए की आ गया है,
सावन भिगोने अपनी बरसात में हमें !
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