Thursday, 13 June 2019

जून की बारिश !


जून की बारिश !

आओ इस तपते जून की बारिश में,
तुम और मैं तब तक भीगें जब तक;
होंठ दोनों के एक साथ थरथराने ना लगे !

आओ इस तपते जून की बारिश में,
तुम और मैं तब तक भीगें जब तक;
तपती धरा को बादल बरस कर हरी ना कर दे !

आओ इस तपते जून की बारिश में,
तुम और मैं तब तक भीगें जब तक;
पसीने की ये बूंदें जमकर बन ना जाए,
ओस की ठंडी-ठंडी छोटी छोटी बूंदें !

आओ इस तपते जून की बारिश में,
तुम और मैं तब तक भीगें जब तक;
तृप्त ना हो जाए तुम्हारी यौवन युक्त तपिश !

आओ इस तपते जून की बारिश में,
तुम और मैं तब तक भीगें जब तक;
हर्फ़ नज़रों से निकलना छोड़ होंठों,
से ना करने लगे इज़हार !

आओ इस तपते जून की बारिश में,
तुम और मैं तब तक भीगें जब तक;
हमें ये एहसास ना हो जाए की आ गया है, 
सावन भिगोने अपनी बरसात में हमें !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !